मंजिल की चाह जब डगमगाए
हौसले दिल के जब कतराएँबेखौफ बढ़ते रहना फिर भी
दिल में रखना यह एतबार
रोक सकेगा न कोई तुम्हारा रास्ता
न कोई तूफ़ान न सैलाब न चट्टानें
उस खुदा के दिल से निकली दुआ हो तुम
यह कुदरत भला उसकी कैसे न माने?
मंजिल की चाह जब डगमगाए
हौसले दिल के जब कतराएँबेखौफ बढ़ते रहना फिर भी
दिल में रखना यह एतबार
रोक सकेगा न कोई तुम्हारा रास्ता
न कोई तूफ़ान न सैलाब न चट्टानें
उस खुदा के दिल से निकली दुआ हो तुम
यह कुदरत भला उसकी कैसे न माने?
दिल जीतने के हैं,
सौ तरीके।
कोई अपने रूप से, तो कोई प्रतिभा से,
कोई मन की सच्चाई से, तो कोई अच्छाई से,
और कोई केवल सादगी से,
कोमल से मन में प्रीत जगाए।
हर शख्स का अपना
अनोखा अंदाज़।
इसीलिए तो इश्क रहा
न सुलझनेवाला एक राज़।
इश्क कुछ ऐसे हो जाए
की दिल को भी ख़बर न हो
छिन जाए करार, और फिर
बस कोई सब्र न हो
काफिर जब नज़रें होने लगें
तो मासूम दिल को हो हैरानी
जब आरजू ही दिल से खेले लुक्का-छुपी
तो कैसा दूध, कैसा पानी
नाप - तोलकर हम मुस्काएं
बेखबर ख़ुद राजदार , कि वह कौनसा राज़ है छुपाये
यह कैसी बात है जो सिर्फ़ नज़रें फ़रमाएँ?
लेकिन इकरार से भी इतेरायें ?
हमारे गाल पर उतरी एक पलक
बन जाए उनकी चुराई हुई झलक
हमारे दिल में गूंज्नेवाली
उनकी आवाज़ कि वह खनक
एक ख़याल , दो लव्ज़,
उनकी हलकी - सी एक मुस्कान
इनके लिए तरसने लगे हम
बस इतनी सी होगी इश्क कि पहचान