Tuesday, August 04, 2009

दुआ उसके दिल की ...

मंजिल की चाह जब डगमगाए

हौसले दिल के जब कतराएँ

बेखौफ बढ़ते रहना फिर भी

दिल में रखना यह एतबार


रोक सकेगा न कोई तुम्हारा रास्ता

कोई तूफ़ान न सैलाब न चट्टानें

उस खुदा के दिल से निकली दुआ हो तुम

यह कुदरत भला उसकी कैसे न माने?


Monday, July 20, 2009

आपकी आँखों में
हम अपना चेहरा, ढूँढ़ते ही रह गए ...

खो गई सारी खुशियाँ
आप न जाने ऐसा, क्या कह गए ...

अपने खुदा के भी हो गए दुश्मन
जाने कौनसा ग़म हम सह गए ...

कभी हमने भी माँगी थी, इश्क की मन्नत
सोचा था, हम भी पा लेंगे जन्नत
लेकिन तू तो निकली बेवफ़ा, ऐ मोहब्बत
अब तो तेरी दुआ से भी रुः काँप उठती है।

Saturday, July 04, 2009

एक राज़ की बात

दिल जीतने के हैं,

सौ तरीके।

कोई अपने रूप से, तो कोई प्रतिभा से,

कोई मन की सच्चाई से, तो कोई अच्छाई से,

और कोई केवल सादगी से,

कोमल से मन में प्रीत जगाए।

हर शख्स का अपना

अनोखा अंदाज़।

इसीलिए तो इश्क रहा

न सुलझनेवाला एक राज़।

Thursday, June 04, 2009

लत

लत जब दिलको लगी हो
तो शराब को क्यों कोसिए?
उसे भी छोड़ ही देंगे आख़िर
पहले मोहब्बत तो छुडा दीजिए.

Friday, May 15, 2009

यह अश्क भुला चुके हैं,
कि इनकी वजह क्या थी
कब से खामोश लब हैं कि
लव्ज़ भूल गए इल्तजा क्या थी

Sunday, March 01, 2009

इश्क कुछ ऐसे हो जाए, की दिल को भी ख़बर न हो

इश्क कुछ ऐसे हो जाए
की दिल को भी ख़बर न हो
छिन जाए करार, और फिर
बस कोई सब्र न हो

काफिर जब नज़रें होने लगें
तो मासूम दिल को हो हैरानी
जब आरजू ही दिल से खेले लुक्का-छुपी
तो कैसा दूध, कैसा पानी

नाप - तोलकर हम मुस्काएं
बेखबर ख़ुद राजदार , कि वह कौनसा राज़ है छुपाये
यह कैसी बात है जो सिर्फ़ नज़रें फ़रमाएँ?
लेकिन इकरार से भी इतेरायें ?

हमारे गाल पर उतरी एक पलक
बन जाए उनकी चुराई हुई झलक
हमारे दिल में गूंज्नेवाली
उनकी आवाज़ कि वह खनक

एक ख़याल , दो लव्ज़,
उनकी हलकी - सी एक मुस्कान
इनके लिए तरसने लगे हम
बस इतनी सी होगी इश्क कि पहचान

Monday, January 26, 2009

नया कारवां ( a new journey )

मन बहक जाता है
कभी- कभी ।
बेगानों, अन्जानों से रिश्ते बुन लेता है
कभी-कभी ।
लेकिन आँखें न धोखा खाएँ कभी
ये तो हैं रूह की परछाइयां।
खोजती रहे उसी पुराने हमसफ़र को
जिनसे बिछडे अब एक अर्सा हो गया।

जब ख़्वाबों, कहानियों की सैर कर रहे थे आप
ये कर रही थीं आपका इंतज़ार,
और आज मिले हैं तो झुक गई हैं
क्योंकी अब खत्म हुई इनकी तलाश।

फिर मिल रहे हैं बिचडे हमसफ़र
फिर से एक नया कारवां,
हाथ थामकर यूँ चल पड़े हैं
जैसे कभी कहा ही न था अल्विदा ।

Saturday, January 24, 2009

A walk to IP...err...Temasek tower...aargh I meant, remember

Slow down,
Your footsteps hurried,
Slow down, slow down.

Play along,
As the breeze flirts with your tresses
Ticklish like fingers of babies.

Savor,
The sunshine warm caressing your skin
Coyly imploring for just a smile.

Look,
Into the eyes of towers high,
That reflect the soul of the bright blue sky.

Inhale,
The fresh gust of air,
It’s yet unparalleled by designer perfumes...

Any stroll could be your last
But take it like your first
And pray,
Pray that it lasts long,
If not in time,
At least in memory.

(Inspired by the quick tea-break strolls that we all love to take once in a while :))