Tuesday, November 20, 2007

ख्वाइश

आप हमारे खयालों में रहिए,
नज़रों के सामने न आइएगा ,वरना
शर्म से कुछ ऐसे झुक जाऍंगी ये पलकें,
कि मुश्किल हो जाएगा इश्क का इज़हार

वह मुलाकात होगी तो बेहद हसीन,
लेकिन चाहेंगे फिर भी हम यही

दिल को आपकी तलाश रहे
रिश्ता आपसे नहीं,
शायरी में कैद
आपके एह्सास से रहे

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