Monday, July 20, 2009

आपकी आँखों में
हम अपना चेहरा, ढूँढ़ते ही रह गए ...

खो गई सारी खुशियाँ
आप न जाने ऐसा, क्या कह गए ...

अपने खुदा के भी हो गए दुश्मन
जाने कौनसा ग़म हम सह गए ...

कभी हमने भी माँगी थी, इश्क की मन्नत
सोचा था, हम भी पा लेंगे जन्नत
लेकिन तू तो निकली बेवफ़ा, ऐ मोहब्बत
अब तो तेरी दुआ से भी रुः काँप उठती है।

Saturday, July 04, 2009

एक राज़ की बात

दिल जीतने के हैं,

सौ तरीके।

कोई अपने रूप से, तो कोई प्रतिभा से,

कोई मन की सच्चाई से, तो कोई अच्छाई से,

और कोई केवल सादगी से,

कोमल से मन में प्रीत जगाए।

हर शख्स का अपना

अनोखा अंदाज़।

इसीलिए तो इश्क रहा

न सुलझनेवाला एक राज़।