Saturday, November 08, 2008

आज फिर एक बार

आज फिर एक बार,
आप करीब महसूस होते हैं।
आज फिर एक बार,
हम आपको चाहने लगे हैं।

अदा को आशिक की चाह है जैसे,
और शायरी को इश्क की जरूरत,
जिस तरह ग़ज़ल को दर्द की तलाश है,
उसी कदर आप हैं हमारी हस्रत।

जिस तरह रूह के होने से, चलती हैं साँसे ,
आज फिर एक बार,
आपके एहसास से ही तो , धड़कनें चल रही हैं।



1 comment:

Neha said...

heartfelt! :)