Tuesday, August 04, 2009

दुआ उसके दिल की ...

मंजिल की चाह जब डगमगाए

हौसले दिल के जब कतराएँ

बेखौफ बढ़ते रहना फिर भी

दिल में रखना यह एतबार


रोक सकेगा न कोई तुम्हारा रास्ता

कोई तूफ़ान न सैलाब न चट्टानें

उस खुदा के दिल से निकली दुआ हो तुम

यह कुदरत भला उसकी कैसे न माने?